भैया ये बात तो साफ है की अगर संघठन में रहकर कोई काम किया जाए तो उस काम के सफल होने की संभावनाए कई गुना बढ़ जाती है| इसी बात से रूबरू कराती है आपको हमारी कहानी “संगठन | Short Story on Unity” जहाँ आप संगठन और संगठन से होने वाले के बारे में जन सकेंगे| तो लीजिये पेश है आज की हमारी कहानी……..
संगठन | Short Story on Unity
बात सालों पुरानी है…. मथुरा के पास एक गाँव था| उस गाँव में एक लकडहारा रहता था| लकडहारा रूज सुबह सुबह जंगल में लकड़ियाँ लेने जाता और शाम को गाँव में आकर बेच देता| एक बार जब लकडहारा सुबह सुबह जंगल की और गया तो उसे जंगल में एक गड्ढे में जंगली श्वान के बच्चे को गिरा हुआ देखा| लकडहारे ने श्वान को गड्ढे से निकला और उसका उपचार करने के लिए अपने साथ अपने घर ले आया| कुछ ही समय में श्वान का बच्चा लकडहारे के परिवार से बहुत अच्छे से घुल-मिल गया|
जब श्वान का बच्चा बड़ा हुआ तो लकडहारे ने सोचा की “श्वान के लिए जंगल का खुला वातावरण ही अच्छा रहेगा इसलिए अब इसे जंगल में छोड़ देन चाहिए” | बस लकडहारे के सोचने भर की देर थी, अगले दिन ही लकडहारा श्वान को जंगल में छोड़ आया| श्वान जल्दी ही जंगल में दुसरे श्वानों के साथ घुलमिल गया और उनका मित्र बन गया|
कुछ दिन बाद ही लकडहारे को पता चला की जंगल में एक बाघ है जो प्रायः श्वानों का शिकार कर उन्हें खा जाता है| अब लकडहारे को अपने पाले हुए श्वान की चिंता सताने लगी| लकडहारे ने कुछ सोचविचार कर अपने श्वान को बचने के लिएय बाघ का शिकार करने का निश्चय किया| अगले दिन ही लकडहारे ने बाघ को मारने की एक योजना बनाई| उसने जंगल के बिच में एक बड़ा सा गड्ढा खोदा और सभी श्वानों को गड्ढे के पीछे खड़ा कर खुद गड्ढे के आगे खड़ा हो गया|
कुछ ही समय में बाघ श्वानो का शिकार करने श्वानों के रहने वाले इलाके की और आया| बाघ ने श्वानों को डराने के लिए उन्हें घूरकर देखा और एक लम्बी दहाड़ लगाई| श्वानों के साथ लकडहारा खड़ा था इसलिए बाघ की दहाड़ सुनकर श्वान डरे नहीं और अपनी जगह पर जैसे के तैसे खड़े रहे| तभी बाघ की नज़र लकडहारे पर पड़ी| बाघ लकडहारे को मारने के लिए जैसे ही लकडहारे की औरे झपटा, लकडहारा एक और कूद गया और बाघ सीधे लकडहारे के खोदे गए गड्ढे में जा गिरा|
बस फिर क्या था, मौका देखकर सभी श्वान बाघ पर टूट पड़े और कुछ ही देर में शेर को मार गिरा दिया| और इस तरह जंगल के श्वान संघठन से शेर जैसे जानवर पर विजय पाने में सफल हुए|
संगठन | Short Story on Unity
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